रविवार, 17 फ़रवरी 2013

तुम हम (Poem)

तुम हम

कभी तुम
नहीं,
कभी हम
नहीं,
ये
सिलसिला
है
या कि
ठहराव,

वक़्त
तू चलता जा,
उड़ता जा,
आता जा,
जाता जा,
तू
आ,
जा,
जा, 
आ,
ठहर मत,
सिलसिला बन,
कभी तुम,
कभी हम,
कभी हम,
कभी तुम,
तुम तुम,
हम हम,
हम हम,
तुम तुम,
गुत्थता जा,
मथता जा,
गुनता जा,
बुनता जा,
सुनता जा,
गीत प्रेम के,
कभी सुनाओ तुम,
कभी सुनाये हम,
सिलसिला दर
सिलसिला,
ठहर मत
वक़्त,
तू उड़ता जा,
गाता जा,
हम तुम
तुम हम

जयप्रकाश पंवार 'जेपी '

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