सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

तुमारे लिए

सूरज की
तरह
हो
तुम,

चमकते
ऒज
की
रंगीन
परछाइया,

जहा भी
हो
तुम,
वहा
अँधेरे की
जरुरत
क्या?

प्रकाश की
दमकती,
चमकती,
लौ
हो
तुम,

सूरज की
तरह
हो
तुम,

दूर
आसमा  से
देखती,
अट्टाहास
करती,
बिखरती
किरणे,
ले
लेती हो,
बाहुपास
मे
तुम,

तुम्हें
क्या पता?
तुम
तो
जीवन
हो,
जो
जलाती 
हो
लौ,
फैलाती
हो,
चहु ऒर
उजियारा,

तुमारे
लिए,
शब्द
कम,
तारीफ़
कम,
तुम
तो,
तुम
हो,

सूरज की
तरह
हो
तुम।

जयप्रकाश पंवार 'जेपी '

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