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सोमवार, 25 फ़रवरी 2013
तुमारे लिए
सूरज की
तरह
हो
तुम,
चमकते
ऒज
की
रंगीन
परछाइया,
जहा भी
हो
तुम,
वहा
अँधेरे की
जरुरत
क्या?
प्रकाश की
दमकती,
चमकती,
लौ
हो
तुम,
सूरज की
तरह
हो
तुम,
दूर
आसमा से
देखती,
अट्टाहास
करती,
बिखरती
किरणे,
ले
लेती हो,
बाहुपास
मे
तुम,
तुम्हें
क्या पता?
तुम
तो
जीवन
हो,
जो
जलाती
हो
लौ,
फैलाती
हो,
चहु ऒर
उजियारा,
तुमारे
लिए,
शब्द
कम,
तारीफ़
कम,
तुम
तो,
तुम
हो,
सूरज की
तरह
हो
तुम।
जयप्रकाश पंवार 'जेपी '
रविवार, 24 फ़रवरी 2013
शनिवार, 23 फ़रवरी 2013
रविवार, 17 फ़रवरी 2013
तुम हम (Poem)
तुम हम
कभी तुम
नहीं,
कभी हम
नहीं,
ये
सिलसिला
है
या कि
ठहराव,
ऐ
वक़्त
तू चलता जा,
उड़ता जा,
आता जा,
जाता जा,
तू
आ,
जा,
जा,
आ,
ठहर मत,
सिलसिला बन,
कभी तुम,
कभी हम,
कभी हम,
कभी तुम,
तुम तुम,
हम हम,
हम हम,
तुम तुम,
गुत्थता जा,
मथता जा,
गुनता जा,
बुनता जा,
सुनता जा,
गीत प्रेम के,
कभी सुनाओ तुम,
कभी सुनाये हम,
सिलसिला दर
सिलसिला,
ठहर मत
वक़्त,
तू उड़ता जा,
गाता जा,
हम तुम
तुम हम
जयप्रकाश पंवार 'जेपी '
कभी तुम
नहीं,
कभी हम
नहीं,
ये
सिलसिला
है
या कि
ठहराव,
ऐ
वक़्त
तू चलता जा,
उड़ता जा,
आता जा,
जाता जा,
तू
आ,
जा,
जा,
आ,
ठहर मत,
सिलसिला बन,
कभी तुम,
कभी हम,
कभी हम,
कभी तुम,
तुम तुम,
हम हम,
हम हम,
तुम तुम,
गुत्थता जा,
मथता जा,
गुनता जा,
बुनता जा,
सुनता जा,
गीत प्रेम के,
कभी सुनाओ तुम,
कभी सुनाये हम,
सिलसिला दर
सिलसिला,
ठहर मत
वक़्त,
तू उड़ता जा,
गाता जा,
हम तुम
तुम हम
जयप्रकाश पंवार 'जेपी '
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