पहाड़नामा
voice of mountains
शनिवार, 9 अक्टूबर 2010
बेटिया
बेटिया,
चुप
क्यों
रहती
है ?
होती
है
उदास
क्यों ?
क्या
घूर
रही
है
कातिल
आंखे ?
जुबान
चुप
क्यों
है ?
बोलती
क्यों
नहीं ?
क्यों,
बता
नहीं
देती
उसे
अपना
वजन ?
जा
चिल्ला
फ़ैल
जा
तू
यंहा
वंहा
जंहा
जंहा
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