बेटिया,
चुप
क्यों
रहती
है ?
होती
है
उदास
क्यों ?
क्या
घूर
रही
है
कातिल
आंखे ?
जुबान
चुप
क्यों
है ?
बोलती
क्यों
नहीं ?
क्यों,
बता
नहीं
देती
उसे
अपना
वजन ?
जा
चिल्ला
फ़ैल
जा
तू
यंहा
वंहा
जंहा
जंहा
बेटिया,
बिखरती जा
यहाँ वहा
जहा जहा
..............
फिर,
उगाना
नयी घास,
अर
फिर ,
बिखर जाना
फूलो की तरह ,
यहाँ वहा
जहा जहा